श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 19: बलि महाराज से वामनदेव द्वारा दान की याचना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  8.19.13 
 
 
वैरानुबन्ध एतावानामृत्योरिह देहिनाम् ।
अज्ञानप्रभवो मन्युरहंमानोपबृंहित: ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान विष्णु के प्रति हिरण्यकशिपु का क्रोध उसकी मृत्यु तक बना रहा। ठीक उसी तरह, देहात्मबुद्धि वाले अन्य लोग मिथ्या अहंकार और अज्ञान के प्रबल प्रभाव के कारण ही क्रोध बनाए रखते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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