वैरानुबन्ध एतावानामृत्योरिह देहिनाम् ।
अज्ञानप्रभवो मन्युरहंमानोपबृंहित: ॥ १३ ॥
अनुवाद
भगवान विष्णु के प्रति हिरण्यकशिपु का क्रोध उसकी मृत्यु तक बना रहा। ठीक उसी तरह, देहात्मबुद्धि वाले अन्य लोग मिथ्या अहंकार और अज्ञान के प्रबल प्रभाव के कारण ही क्रोध बनाए रखते हैं।