श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  8.18.6 
 
 
द्वादश्यां सवितातिष्ठन्मध्यन्दिनगतो नृप ।
विजयानाम सा प्रोक्ता यस्यां जन्म विदुर्हरे: ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन! जब भगवान प्रकट हुए - द्वादशी के दिन, चंद्रमा के बारहवें दिन - सूर्य आकाश के मध्य में था, जैसा कि प्रत्येक विद्वान जानता है। इस द्वादशी को विजया कहा जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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