श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  8.18.5 
 
 
श्रोणायां श्रवणद्वादश्यां मुहूर्तेऽभिजिति प्रभु: ।
सर्वे नक्षत्रताराद्याश्चक्रुस्तज्जन्म दक्षिणम् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  श्रवण-द्वादशी के दिन जब चन्द्रमा श्रवण राशि में था और शुभ अभिजित मुहूर्त था, उस समय भगवान इस ब्रह्माण्ड में प्रकट हुए। भगवान् के प्रादुर्भाव को अत्यंत शुभ मानते हुए, सूर्य से लेकर शनि तक सभी तारे और ग्रह बहुत दानी हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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