श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  8.18.4 
 
 
दिश: प्रसेदु: सलिलाशयास्तदा
प्रजा: प्रहृष्टा ऋतवो गुणान्विता: ।
द्यौरन्तरीक्षं क्षितिरग्निजिह्वा
गावो द्विजा: सञ्जहृषुर्नगाश्च ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  उस समय सभी दिशाओं में, नदियों और समुद्रों जैसे जल स्रोतों में, और हर किसी के दिल में खुशियाँ छा गईं। विभिन्न ऋतुओं ने अपने-अपने गुण दिखाए, और ऊपरी ग्रह प्रणाली में, बाहरी अंतरिक्ष में और पृथ्वी की सतह पर रहने वाले सभी जीव खुशियों से झूम उठे। देवता, गाय, ब्राह्मण और पहाड़ और पर्वत सभी खुशी से भर गए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.