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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार
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श्लोक 30
श्लोक
8.18.30
अद्य न: पितरस्तृप्ता अद्य न: पावितं कुलम् ।
अद्य स्विष्ट: क्रतुरयं यद् भवानागतो गृहान् ॥ ३० ॥
अनुवाद
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हे प्रभु! आपने दया करके हमारे घर पधारने की कृपा की है, इसलिए हमारे सभी पूर्वज संतुष्ट हो गए हैं। हमारे परिवार और पूरे वंश को पवित्रता मिल गई है और हम जो यज्ञ कर रहे थे, वह आपकी उपस्थिति से अब पूर्ण हो गया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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