वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
»
अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार
»
श्लोक 27
श्लोक
8.18.27
स्वागतेनाभिनन्द्याथ पादौ भगवतो बलि: ।
अवनिज्यार्चयामास मुक्तसङ्गमनोरमम् ॥ २७ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
इस प्रकार मुक्तात्माओं को सदैव सुन्दर लगने वाले भगवान् का समुचित स्वागत करते हुए बलि महाराज ने उनके चरणकमलों को प्रक्षालित करके उनकी पूजा की।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.