श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  8.18.27 
 
 
स्वागतेनाभिनन्द्याथ पादौ भगवतो बलि: ।
अवनिज्यार्चयामास मुक्तसङ्गमनोरमम् ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार मुक्तात्माओं को सदैव सुन्दर लगने वाले भगवान् का समुचित स्वागत करते हुए बलि महाराज ने उनके चरणकमलों को प्रक्षालित करके उनकी पूजा की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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