श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  8.18.21 
 
 
तं नर्मदायास्तट उत्तरे बले-
र्य ऋत्विजस्ते भृगुकच्छसंज्ञके ।
प्रवर्तयन्तो भृगव: क्रतूत्तमं
व्यचक्षतारादुदितं यथा रविम् ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  भृगुकक्ष नामक क्षेत्र में यज्ञ करते समय, भृगु वंश के ब्राह्मण पुरोहितों ने पास ही में सूर्य की भांति उदय होते हुए वामनदेव को देखा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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