श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  8.18.2 
 
 
श्यामावदातो झषराजकुण्डल-
त्विषोल्ल‍सच्छ्रीवदनाम्बुज: पुमान् ।
श्रीवत्सवक्षा बलयाङ्गदोल्ल‍स-
त्किरीटकाञ्चीगुणचारुनूपुर: ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान का दिव्य शरीर साँवले रंग का था और किसी भी तरह के नशे से परे था। उनके सुंदर कमल के समान चेहरे पर मछली के आकार के कानों के कुंडल शोभायमान थे। उनकी छाती पर श्रीवत्स का चिह्न था। उनकी कलाइयों में कंगन, भुजाओं में बाजूबंद, सिर पर मुकुट, कमर में करधनी, सीने पर जनेऊ और चरणकमलों में पायल सुशोभित थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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