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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार
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श्लोक 19
श्लोक
8.18.19
समिद्धमाहितं वह्निं कृत्वा परिसमूहनम् ।
परिस्तीर्य समभ्यर्च्य समिद्भिरजुहोद् द्विज: ॥ १९ ॥
अनुवाद
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तत्पश्चात् भगवान श्री वामनदेव ने यज्ञ की अग्नि जलाई, पूजा की और यज्ञशाला में यज्ञ किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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