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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार
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श्लोक 17
श्लोक
8.18.17
तस्मा इत्युपनीताय यक्षराट् पात्रिकामदात् ।
भिक्षां भगवती साक्षादुमादादम्बिका सती ॥ १७ ॥
अनुवाद
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यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न होने के पश्चात यक्षराज कुबेर ने भिक्षा प्रार्थना हेतु भिक्षापात्र भेंट किया और माता भगवती ने, जो भगवान शिव की पत्नी और संपूर्ण ब्रह्मांड में सबसे पवित्र हैं, उन्हें पहली भिक्षा प्रदान की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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