श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  8.18.14 
 
 
तस्योपनीयमानस्य सावित्रीं सविताब्रवीत् ।
बृहस्पतिर्ब्रह्मसूत्रं मेखलां कश्यपोऽददात् ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  वामनदेव के यज्ञोपवीत संस्कार में स्वयं सूर्यदेव ने गायत्री मंत्र का उच्चारण किया था, बृहस्पति ने यज्ञोपवीत प्रदान किया था और कश्यप मुनि ने मूंज की मेखला भेंट की थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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