तस्योपनीयमानस्य सावित्रीं सविताब्रवीत् ।
बृहस्पतिर्ब्रह्मसूत्रं मेखलां कश्यपोऽददात् ॥ १४ ॥
अनुवाद
वामनदेव के यज्ञोपवीत संस्कार में स्वयं सूर्यदेव ने गायत्री मंत्र का उच्चारण किया था, बृहस्पति ने यज्ञोपवीत प्रदान किया था और कश्यप मुनि ने मूंज की मेखला भेंट की थी।