वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
»
अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार
»
श्लोक 11
श्लोक
8.18.11
दृष्ट्वादितिस्तं निजगर्भसम्भवं
परं पुमांसं मुदमाप विस्मिता ।
गृहीतदेहं निजयोगमायया
प्रजापतिश्चाह जयेति विस्मित: ॥ ११ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
जब अदिति ने देखा कि भगवान् ने उनके अपने गर्भ से उनकी आध्यात्मिक शक्ति से दिव्य शरीर लेकर अवतरित हुए हैं, तो वे आश्चर्यचकित हो गईं और अत्यंत सुखी हुईं। उस बालक को देखते ही प्रजापति कश्यप परम सुख और आश्चर्य से अभिभूत होकर "जय! जय!" पुकारने लगे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.