श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  8.18.11 
 
 
द‍ृष्ट्वादितिस्तं निजगर्भसम्भवं
परं पुमांसं मुदमाप विस्मिता ।
गृहीतदेहं निजयोगमायया
प्रजापतिश्चाह जयेति विस्मित: ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  जब अदिति ने देखा कि भगवान् ने उनके अपने गर्भ से उनकी आध्यात्मिक शक्ति से दिव्य शरीर लेकर अवतरित हुए हैं, तो वे आश्चर्यचकित हो गईं और अत्यंत सुखी हुईं। उस बालक को देखते ही प्रजापति कश्यप परम सुख और आश्चर्य से अभिभूत होकर "जय! जय!" पुकारने लगे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.