श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 17: भगवान् को अदिति का पुत्र बनना स्वीकार  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  8.17.25 
 
 
श्रीब्रह्मोवाच
जयोरुगाय भगवन्नुरुक्रम नमोऽस्तु ते ।
नमो ब्रह्मण्यदेवाय त्रिगुणाय नमो नम: ॥ २५ ॥
 
अनुवाद
 
  ब्रह्माजी ने कहा: हे भगवान्! आपको जय हो। आप सबके द्वारा महिमान्वित हैं और आपके कार्य सब अद्भुत होते हैं। हे योगियों के स्वामी, हे प्रकृति के तीनों गुणों के नियंत्रक! मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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