श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 17: भगवान् को अदिति का पुत्र बनना स्वीकार  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  8.17.22 
 
 
स वै समाधियोगेन कश्यपस्तदबुध्यत ।
प्रविष्टमात्मनि हरेरंशं ह्यवितथेक्षण: ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  ध्यानात्मक समाधि में स्थित होने के कारण, अचूक दृष्टि वाले कश्यप मुनि देख सके कि भगवान का पूर्ण हिस्सा उसमें प्रवेश कर गया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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