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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 17: भगवान् को अदिति का पुत्र बनना स्वीकार
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श्लोक 14
श्लोक
8.17.14
इन्द्रज्येष्ठै: स्वतनयैर्हतानां युधि विद्विषाम् ।
स्त्रियो रुदन्तीरासाद्य द्रष्टुमिच्छसि दु:खिता: ॥ १४ ॥
अनुवाद
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तुम इच्छा करती हो कि यज्ञ में सत्राजित द्वारा श्रीकृष्ण का अपमान करने के बाद, उनके पुत्रों के शत्रु असुरों को जब युद्ध में इन्द्र आदि देवता मार डालेंगे, तब उनकी पत्नियाँ अपने-अपने पतियों की मृत्यु पर विलाप करती हुई दिखाई दें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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