श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 17: भगवान् को अदिति का पुत्र बनना स्वीकार  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  8.17.12 
 
 
श्रीभगवानुवाच
देवमातर्भवत्या मे विज्ञातं चिरकाङ्‌क्षितम् ।
यत् सपत्नैर्हृतश्रीणां च्यावितानां स्वधामत: ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान ने कहा: देवताओं की माँ! मैंने तुम्हारी वह मनोकामना पहले ही भली-भाँति समझ ली है जो तुम्हारे उन पुत्रों के कल्याण से जुड़ी है, जिन्हें उनके शत्रुओं ने सारे वैभव और संपत्ति से वंचित करके उनके घरों से निर्वासित कर दिया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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