श्रीशुक उवाच
अदित्यैवं स्तुतो राजन्भगवान्पुष्करेक्षण: ।
क्षेत्रज्ञ: सर्वभूतानामिति होवाच भारत ॥ ११ ॥
अनुवाद
शुकदेव गोस्वामी ने कहा: हे भरतवंशी श्रेष्ठ राजा परीक्षित! जब सभी जीवों की आत्मा, कमलनयन भगवान् की, अदिति ने इस प्रकार पूजा की तो भगवान् ने इस प्रकार उत्तर दिया।