श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 62
 
 
श्लोक  8.16.62 
 
 
तस्मादेतद्‌व्रतं भद्रे प्रयता श्रद्धयाचर ।
भगवान्परितुष्टस्ते वरानाशु विधास्यति ॥ ६२ ॥
 
अनुवाद
 
  इसलिए हे सौम्य नारी, इस अनुष्ठानिक व्रत को नियमों का सख्ती से पालन करते हुए पूरा करो। इस प्रक्रिया से परम पुरुष शीघ्र ही तुमसे प्रसन्न होंगे और तुम्हारी सभी इच्छाएँ पूरी करेंगे।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध आठ के अंतर्गत सोलहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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