श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 57
 
 
श्लोक  8.16.57 
 
 
नृत्यवादित्रगीतैश्च स्तुतिभि: स्वस्तिवाचकै: ।
कारयेत्तत्कथाभिश्च पूजां भगवतोऽन्वहम् ॥ ५७ ॥
 
अनुवाद
 
  प्रतिपदा से त्रयोदशी तक प्रतिदिन, भगवान के परम व्यक्तित्व की पूजा नृत्य, गायन, ढोल की थाप, प्रार्थनाओं के उच्चारण और सभी शुभ मंत्रों का जाप और साथ ही श्रीमद्भागवत का पाठ करके की जानी चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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