इंसान को वेदों में पारंगत गुरु (आचार्य) को प्रसन्न रखना चाहिए और उनके सहायक पुरोहितों (जो होता, उद्गाता, अध्वर्यु और ब्रह्म कहे जाते हैं) को संतुष्ट रखना चाहिए। उन्हें वस्त्र, आभूषण और गायें प्रदान कर प्रसन्न किया जाना चाहिए। यही विष्णु-आराधन अनुष्ठान है।