श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  8.16.48 
 
 
प्रतिपद्दिनमारभ्य यावच्छुक्लत्रयोदशीम् ।
ब्रह्मचर्यमध:स्वप्नं स्‍नानं त्रिषवणं चरेत् ॥ ४८ ॥
 
अनुवाद
 
  प्रतिपदा से से आरंभ करके अगले शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (शुक्ल त्रयोदशी) तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करे, फर्श पर सोए, रोज़ाना तीन बार नहाए और इस तरह इस व्रत को संपन्न करे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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