श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 47
 
 
श्लोक  8.16.47 
 
 
एवं त्वहरह: कुर्याद्‌द्वादशाहं पयोव्रतम् ।
हरेराराधनं होममर्हणं द्विजतर्पणम् ॥ ४७ ॥
 
अनुवाद
 
  इस तरह बारह दिनों तक हर दिन भगवान की पूजा करना, नियमित कर्मों को करना, यज्ञ करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इस तरह यह पयोव्रत रखा जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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