श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  8.16.39 
 
 
अर्चित्वा गन्धमाल्याद्यै: पयसा स्‍नपयेद् विभुम् ।
वस्त्रोपवीताभरणपाद्योपस्पर्शनैस्तत: ।
गन्धधूपादिभिश्चार्चेद्‌द्वादशाक्षरविद्यया ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  सर्वप्रथम भक्त को द्वादश अक्षर मंत्र का जाप करना चाहिए और भगवान को फूल माला, अगुरु आदि अर्पित करना चाहिए। इस प्रकार से भगवान की पूजा करने के पश्चात भगवान को दूध से स्नान कराना चाहिए और उन्हें उचित वस्त्र तथा यज्ञोपवीत पहनाकर आभूषणों से सजाना चाहिए। तत्पश्चात भगवान के चरणों को धोने के लिए जल अर्पित करना चाहिए और सुगंधित पुष्प, अगरबत्ती इत्यादि सामग्री से भगवान की पुन: पूजा करनी चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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