श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  8.16.38 
 
 
एतैर्मन्त्रैर्हृषीकेशमावाहनपुरस्कृतम् ।
अर्चयेच्छ्रद्धया युक्त: पाद्योपस्पर्शनादिभि: ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  कश्यप मुनि आगे बोले: इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए और श्रद्धा व भक्ति के साथ भगवान् का स्वागत करके, और उन्हें पूजा की वस्तुएँ (जैसे पाद्य और अर्घ्य) अर्पित करके मनुष्य को केशव यानी हृषीकेश भगवान् कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.