श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  8.16.37 
 
 
अन्ववर्तन्त यं देवा: श्रीश्च तत्पादपद्मयो: ।
स्पृहयन्त इवामोदं भगवान्मे प्रसीदताम् ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  सारे देवता और लक्ष्मी भी उनके चरण-कमलों की सेवा में तत्पर रहते हैं। निःसंदेह, वे उन चरण-कमलों की सुगंध का सम्मान करते हैं। ऐसे भगवान मुझ पर प्रसन्न हों।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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