श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  8.16.36 
 
 
त्वं सर्ववरद: पुंसां वरेण्य वरदर्षभ ।
अतस्ते श्रेयसे धीरा: पादरेणुमुपासते ॥ ३६ ॥
 
अनुवाद
 
  हे अति उच्च और पूजनीय भगवान, वरदान देने वालों में श्रेष्ठ, आप हर किसी की इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं और इसलिए जो धैर्यवान हैं, अपने कल्याण के लिए आपके चरणकमलों की धूल की पूजा करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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