वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
»
अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना
»
श्लोक 18
श्लोक
8.16.18
श्रीशुक उवाच
एवमभ्यर्थितोऽदित्या कस्तामाह स्मयन्निव ।
अहो मायाबलं विष्णो: स्नेहबद्धमिदं जगत् ॥ १८ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
श्री शुकदेव गोस्वामी ने आगे कहा : जब अदिति ने कश्यप मुनि से इस प्रकार प्रार्थना की तो वे कुछ मुस्काए और कहा, "हे! भगवान विष्णु की माया कितनी प्रबल है, जिससे सारा संसार बच्चों के स्नेह से बँधा है!"
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.