श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  8.16.13 
 
 
को नु मे भगवन्कामो न सम्पद्येत मानस: ।
यस्या भवान्प्रजाध्यक्ष एवं धर्मान्प्रभाषते ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु! आप एक प्रजापति हैं और धर्म सिद्धांतों के पालन में स्वयं मेरे गुरु हैं, तो फिर ऐसे में यह कैसे संभव हो सकता है कि मेरी सभी इच्छाएँ पूरी न हों?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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