श्रीशुक उवाच
पराजितश्रीरसुभिश्च हापितो
हीन्द्रेण राजन्भृगुभि: स जीवित: ।
सर्वात्मना तानभजद् भृगून्बलि:
शिष्यो महात्मार्थनिवेदनेन ॥ ३ ॥
अनुवाद
शुकदेव गोस्वामी ने कहा: हे राजा! जब बलि महाराज ने अपनी सारी संपत्ति खो दी और युद्ध में मारे गए, तो भृगु मुनि के वंशज शुक्राचार्य ने उन्हें वापस जीवन में ले आए। इसके कारण, महान आत्मा बलि महाराज शुक्राचार्य के शिष्य बन गए और अपना सब कुछ समर्पित करके अत्यंत श्रद्धा के साथ उनकी सेवा करने लगे।