ओजस्विनं बलिं जेतुं न समर्थोऽस्ति कश्चन ।
भवद्विधो भवान्वापि वर्जयित्वेश्वरं हरिम् ।
विजेष्यति न कोऽप्येनं ब्रह्मतेज:समेधितम् ।
नास्य शक्त: पुर: स्थातुं कृतान्तस्य यथा जना: ॥ २९ ॥
अनुवाद
न तो तुम न ही तुम्हारे सैनिक अत्यंत शक्तिशाली बलि को परास्त कर सकते हैं। निश्चित ही, परमात्मा के अतिरिक्त कोई भी उसे हरा नहीं सकता क्योंकि वह अब ब्रह्मतेज से युक्त है। जैसे कोई भी यमराज के सामने खड़ा नहीं हो सकता उसी प्रकार बलि महाराज के सामने भी कोई नहीं टिक सकता।