श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 15: बलि महाराज द्वारा स्वर्गलोक पर विजय  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  8.15.29 
 
 
ओजस्विनं बलिं जेतुं न समर्थोऽस्ति कश्चन ।
भवद्विधो भवान्वापि वर्जयित्वेश्वरं हरिम् ।
विजेष्यति न कोऽप्येनं ब्रह्मतेज:समेधितम् ।
नास्य शक्त: पुर: स्थातुं कृतान्तस्य यथा जना: ॥ २९ ॥
 
अनुवाद
 
  न तो तुम न ही तुम्हारे सैनिक अत्यंत शक्तिशाली बलि को परास्त कर सकते हैं। निश्चित ही, परमात्मा के अतिरिक्त कोई भी उसे हरा नहीं सकता क्योंकि वह अब ब्रह्मतेज से युक्त है। जैसे कोई भी यमराज के सामने खड़ा नहीं हो सकता उसी प्रकार बलि महाराज के सामने भी कोई नहीं टिक सकता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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