श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 15: बलि महाराज द्वारा स्वर्गलोक पर विजय  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  8.15.28 
 
 
श्रीगुरुरुवाच
जानामि मघवञ्छत्रोरुन्नतेरस्य कारणम् ।
शिष्यायोपभृतं तेजो भृगुभिर्ब्रह्मवादिभि: ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  देवोके गुरु बृहस्पति बोले: हे इंद्र, मै जानता हूं कि क्यों तुम्हारा शत्रु इतना शक्तिशाली हो गया है। भृगु मुनि के ब्राह्मण वंशज, उनके शिष्य बलि महाराज की भक्ति से खुश होकर, उन्हें ऐसी अद्भुत शक्ति प्रदान की है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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