श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 15: बलि महाराज द्वारा स्वर्गलोक पर विजय  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  8.15.20 
 
 
मुक्तावितानैर्मणिहेमकेतुभि-
र्नानापताकावलभीभिरावृताम् ।
शिखण्डिपारावतभृङ्गनादितां
वैमानिकस्त्रीकलगीतमङ्गलाम् ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  युगल नगरी मोतियों से सजे हुए चंदोवों की छाया से ढकी हुई थी! मंदिरों के गुंबदों पर मोतियों और सोने की पताकाएं लहरा रही थीं। शहर में हमेशा मोरों, कबूतरों और भौरों की आवाजें गूंजती रहती थीं! उसके ऊपर, सुंदर महिलाओं से भरे विमान उड़ान भर रहे थे, जो लगातार मधुर गीत गा रहे थे जो कानों को अच्छे लगते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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