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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 15: बलि महाराज द्वारा स्वर्गलोक पर विजय
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श्लोक 19
श्लोक
8.15.19
हेमजालाक्षनिर्गच्छद्धूमेनागुरुगन्धिना ।
पाण्डुरेण प्रतिच्छन्नमार्गे यान्ति सुरप्रिया: ॥ १९ ॥
अनुवाद
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अगरु धूप के सफेद, सुगंधित धुएँ से ढकी सड़कों से अप्सराएँ गुजरती थीं, जो खिड़कियों में जड़ी सुनहरी तारकशी के कारण और भी खूबसूरत लग रही थीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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