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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 15: बलि महाराज द्वारा स्वर्गलोक पर विजय
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श्लोक 18
श्लोक
8.15.18
सुरस्त्रीकेशविभ्रष्टनवसौगन्धिकस्रजाम् ।
यत्रामोदमुपादाय मार्ग आवाति मारुत: ॥ १८ ॥
अनुवाद
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उस पुरी की सड़कें जिनमें से हवा बहती थी, उनमें देवताओं की स्त्रियों के बालों से गिरे हुए फूलों की खूशबू से सुगंध बिखरी थी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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