श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 15: बलि महाराज द्वारा स्वर्गलोक पर विजय  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  8.15.17 
 
 
यत्र नित्यवयोरूपा: श्यामा विरजवासस: ।
भ्राजन्ते रूपवन्नार्यो ह्यर्चिर्भिरिव वह्नय: ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  उस नगरी में नित्य सुंदर और युवा स्त्रियाँ स्वच्छ वस्त्रों में सज-धजकर अग्नि की प्रज्वलित ज्वालाओं की तरह चमक रही थीं। वे सभी श्यामा के गुणों से संपन्न थीं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.