सभाचत्वररथ्याढ्यां विमानैर्न्यर्बुदैर्युताम् ।
शृङ्गाटकैर्मणिमयैर्वज्रविद्रुमवेदिभि: ॥ १६ ॥
अनुवाद
यह नगरी आँगनों, चौड़े मार्गों, सभाभवनों से पूर्ण थी तथा यहाँ कम से कम दस करोड़ विमान थे। चौराहे मोती से बने थे तथा बैठने के स्थान हीरे और मूँगे से बने थे।