श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 15: बलि महाराज द्वारा स्वर्गलोक पर विजय  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  8.15.16 
 
 
सभाचत्वररथ्याढ्यां विमानैर्न्यर्बुदैर्युताम् ।
श‍ृङ्गाटकैर्मणिमयैर्वज्रविद्रुमवेदिभि: ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  यह नगरी आँगनों, चौड़े मार्गों, सभाभवनों से पूर्ण थी तथा यहाँ कम से कम दस करोड़ विमान थे। चौराहे मोती से बने थे तथा बैठने के स्थान हीरे और मूँगे से बने थे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.