रुक्मपट्टकपाटैश्च द्वारै: स्फटिकगोपुरै: ।
जुष्टां विभक्तप्रपथां विश्वकर्मविनिर्मिताम् ॥ १५ ॥
अनुवाद
उसके दरवाज़े ठोस सोने की प्लेटों से बने थे और फाटक उत्कृष्ट संगमरमर के थे। ये सभी विभिन्न जनमार्गों से जुड़े थे। पूरी नगरी का निर्माण विश्वकर्मा ने किया था।