रम्यामुपवनोद्यानै: श्रीमद्भिर्नन्दनादिभि: ।
कूजद्विहङ्गमिथुनैर्गायन्मत्तमधुव्रतै: ।
प्रवालफलपुष्पोरुभारशाखामरद्रुमै: ॥ १२ ॥
अनुवाद
राजा इंद्र के नगर में आकर्षक उद्यान थे, जैसे नंदन उद्यान। फूलों, पत्तियों और फलों के भार से, उनके सदाबहार वृक्षों की डालियां नीचे झुक जाती थीं। इन उद्यानों में पक्षियों के झुंड चहचहाते और मधुमक्खियां गुनगुनाती रहती थीं। पूरा वातावरण स्वर्गीय था।