श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 14: विश्व व्यवस्था की पद्धति  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  8.14.9 
 
 
सर्गं प्रजेशरूपेण दस्यून्हन्यात् स्वराड्‌वपु: ।
कालरूपेण सर्वेषामभावाय पृथग्गुण: ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान श्री हरि प्रजापति मरीचि के रूप में संतान उत्पन्न करते हैं, राजा के अवतार में चोरों और बदमाशों का वध करते हैं, और काल के रूप में अंततः सबका संहार करते हैं। भौतिक संसार के सभी गुण अनिवार्य रूप से भगवान के ही गुण हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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