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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 14: विश्व व्यवस्था की पद्धति
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श्लोक 7
श्लोक
8.14.7
इन्द्रो भगवता दत्तां त्रैलोक्यश्रियमूर्जिताम् ।
भुञ्जान: पाति लोकांस्त्रीन् कामं लोके प्रवर्षति ॥ ७ ॥
अनुवाद
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स्वर्ग के राजा इन्द्र, भगवान से वर वरदान प्राप्त कर अत्यधिक समृद्धि का भोग करते हुए, सभी ग्रहों पर पर्याप्त वर्षा द्वारा तीनों लोकों के सभी जीवों का पालन-पोषण करते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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