श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 14: विश्व व्यवस्था की पद्धति  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  8.14.5 
 
 
ततो धर्मं चतुष्पादं मनवो हरिणोदिता: ।
युक्ता: सञ्चारयन्त्यद्धा स्वे स्वे काले महीं नृप ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात्, हे राजा! भगवान के आदेशानुसार मनु, पूर्णत: व्यस्त होकर वर्ण व्यवस्था के चारों अंशों की साक्षात् पुनर्स्थापना करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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