श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 14: विश्व व्यवस्था की पद्धति  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  8.14.2 
 
 
श्रीऋषिरुवाच
मनवो मनुपुत्राश्च मुनयश्च महीपते ।
इन्द्रा: सुरगणाश्चैव सर्वे पुरुषशासना: ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा: हे राजा! सारे मनु, मनु के पुत्र, महाऋषि, इंद्र तथा देवता सभी यज्ञ आदि विविध अवतारों में भगवान के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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