श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 13: भावी मनुओं का वर्णन  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  8.13.4 
 
 
आदित्या वसवो रुद्रा विश्वेदेवा मरुद्गणा: ।
अश्विनावृभवो राजन्निन्द्रस्तेषां पुरन्दर: ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  इस मन्वन्तर में, हे राजा! आदित्य, वसु, रुद्र, विश्वेदेवा, मरुत्, दोनों अश्विनी-कुमार भाई और ऋभु देवता हैं। इनका प्रमुख राजा (इन्द्र) पुरंदर है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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