राजंश्चतुर्दशैतानि त्रिकालानुगतानि ते ।
प्रोक्तान्येभिर्मित: कल्पो युगसाहस्रपर्यय: ॥ ३६ ॥
अनुवाद
हे राजन, मैंने अब तुम्हें भूतकाल, वर्तमान और भविष्य में प्रकट होने वाले चौदह मनुओं का वर्णन किया है। इन मनुओं द्वारा शासित समग्र समय एक हजार युग चक्रों के बराबर है। इसे कल्प या भगवान ब्रह्मा का एक दिन कहा जाता है।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध आठ के अंतर्गत तेरहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।