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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 13: भावी मनुओं का वर्णन
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श्लोक 35
श्लोक
8.13.35
सत्रायणस्य तनयो बृहद्भानुस्तदा हरि: ।
वितानायां महाराज क्रियातन्तून्वितायिता ॥ ३५ ॥
अनुवाद
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हे राजन परीक्षित! चौदहवें मन्वन्तर में भगवान विताना के गर्भ से प्रकट होंगे एवम् उनके पिता सत्रायण होंगे | यह अवतार बृहद्भानु के नाम से विख्यात होगा और वे आध्यात्मिक कार्य सम्पादित करेंगे |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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