श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 13: भावी मनुओं का वर्णन  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  8.13.22 
 
 
हविष्मान्सुकृत: सत्यो जयो मूर्तिस्तदा द्विजा: ।
सुवासनविरुद्धाद्या देवा: शम्भु: सुरेश्वर: ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  हविष्मान, सुकृत, सत्य, जय, मूर्ति आदि सातों ऋषि होंगे; सुवासन-गण और विरुद्धगण देवता होंगे और उन सबका राजा शम्भु ही इन्द्र होगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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