श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 13: भावी मनुओं का वर्णन  »  श्लोक 2-3
 
 
श्लोक  8.13.2-3 
 
 
इक्ष्वाकुर्नभगश्चैव धृष्ट: शर्यातिरेव च ।
नरिष्यन्तोऽथ नाभाग: सप्तमो दिष्ट उच्यते ॥ २ ॥
तरूषश्च पृषध्रश्च दशमो वसुमान्स्मृत: ।
मनोर्वैवस्वतस्यैते दशपुत्रा: परन्तप ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजा परीक्षित! मनु के दस पुत्रों में इक्ष्वाकु, नभग, धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त और नाभाग हैं। सातवाँ पुत्र दिष्ट के नाम से जाना जाता है। इसके बाद तरूष और पृषध्र आते हैं और दसवाँ पुत्र वसुमान कहलाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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