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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 13: भावी मनुओं का वर्णन
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श्लोक 15-16
श्लोक
8.13.15-16
गालवो दीप्तिमान्रामो द्रोणपुत्र: कृपस्तथा ।
ऋष्यशृङ्ग: पितास्माकं भगवान्बादरायण: ॥ १५ ॥
इमे सप्तर्षयस्तत्र भविष्यन्ति स्वयोगत: ।
इदानीमासते राजन् स्वे स्व आश्रममण्डले ॥ १६ ॥
अनुवाद
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हे राजा! आठवें मन्वंतर में गालव, दीप्तिमान, परशुराम, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, ऋष्यशृंग और हमारे पिता व्यासदेव, जो नारायण के अवतार हैं, सप्तर्षि होंगे। अभी वे सभी अपने-अपने आश्रमों में रह रहे हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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