श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  8.12.9 
 
 
त्वां ब्रह्म केचिदवयन्त्युत धर्ममेकेएके परं सदसतो: पुरुषं परेशम् ।
अन्येऽवयन्ति नवशक्तियुतं परं त्वांकेचिन्महापुरुषमव्ययमात्मतन्त्रम् ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  जो निर्विशेष मायावादी कहलाते हैं वे तुम्हें निर्विशेष ब्रह्म मानते हैं। मीमांसक विचारक तुम्हें धर्म के रूप में मानते हैं। सांख्य दार्शनिक तुम्हें ऐसा परम पुरुष मानते हैं, जो प्रकृति तथा पुरुष के परे है और देवताओं का भी नियंत्रक है। जो लोग पंचरात्र नामक भक्ति के नियमों के अनुयायी हैं, वे तुम्हें नौ शक्तियों से युक्त मानते हैं। तथा पतंजलि मुनि के अनुयायी जो पतंजल दार्शनिक कहलाते हैं, तुम्हें उस परम स्वतंत्र भगवान के रूप में मानते हैं जिसके न तो कोई तुल्य है और जिससे कोई श्रेष्ठ है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.