जो निर्विशेष मायावादी कहलाते हैं वे तुम्हें निर्विशेष ब्रह्म मानते हैं। मीमांसक विचारक तुम्हें धर्म के रूप में मानते हैं। सांख्य दार्शनिक तुम्हें ऐसा परम पुरुष मानते हैं, जो प्रकृति तथा पुरुष के परे है और देवताओं का भी नियंत्रक है। जो लोग पंचरात्र नामक भक्ति के नियमों के अनुयायी हैं, वे तुम्हें नौ शक्तियों से युक्त मानते हैं। तथा पतंजलि मुनि के अनुयायी जो पतंजल दार्शनिक कहलाते हैं, तुम्हें उस परम स्वतंत्र भगवान के रूप में मानते हैं जिसके न तो कोई तुल्य है और जिससे कोई श्रेष्ठ है।