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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना
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श्लोक 42
श्लोक
8.12.42
आत्मांशभूतां तां मायां भवानीं भगवान्भव: ।
सम्मतामृषिमुख्यानां प्रीत्याचष्टाथ भारत ॥ ४२ ॥
अनुवाद
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हे भरतवंशी महाराज! तब भगवान् शिव ने हर्षित होकर अपनी पत्नी भवानी से कहा, जिसे सभी अधिकारी भगवान विष्णु की शक्ति के रूप में स्वीकार करते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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